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1. भगवान राम मानव जाति के कल्याण के लिए और दर्द और दुख को हल करने के लिए राजा दशरथ के राजसी परिवार में जन्म लिया. बालरूप में राम अपने माता - पिता को अपनि बाल सुलभ क्रीडाओ से मोहित कर देते थे
2. साधु विश्वामित्र राजा दशरथ के पास आये और शिक्षा के लिए राम और उनके तीन भाइयों को अपने साथ भेजने के लिए कहा. सभी राजकुमारों ने संत विश्वामित्र के साथ उनके आश्रम की और प्रस्थान किया.
3. बहादुर ज्ञानी राम ने दानव ताड़का को मार गिराया और राक्षसों के आतंक से संतों को राहत मिली. भगवान राम ने एक पत्थर को छुकर देवी अहिल्या को एक अभिशाप से मुक्त कराया.
4. राम अपने गुरु के साथ जनकपुरी आये थे वहीं उन्होंने एक बाग में देवी सीता को देखा. देवी सीता ने राम को पसंद किया और ईश्वर से प्रार्थना की भगवान राम ही उनके पति बने. सर्वज्ञ राम देवी सीता की इस इच्छा को समझ गए.
5. भगवान राम ने शिव धनुष तोड़ दिया और देवी सीता का स्वयंवर जीता. देवी सीता भगवान राम के गले में वरमाला पहना कर उनकी पत्नी बन गई.
6. शिव धनुष टूटने से पूरी पृथ्वी पर उसकी आवाज़ सुनाई दी. शिव भक्त संत परशुराम ने भी यह आवाज़ सुनी. उन्हें गुस्सा आया और वो देवी सीता के स्वयंवर में आ गये. भगवान राम ने सम्मान से संत का स्वागत किया.
7. महान संत परशुराम ने गुस्से में पूछा, "किसने मेरे आराध्य भगवान शिव के धनुष को तोड़ा है?" राजकुमार लक्ष्मण ने उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.
8. तब भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण के लिए संत परशुराम से माफि मांगी और संत को विनम्रता से कहा “मैं राम हूँ और मैंने हे इस धनुष को तोड़ा है. मेरे इस कृत्य से अगर आपको चोट पहुंची है तो में आपसे माफ़ी मांगता हूँ और आप मुझे दंडित कर सकते हैं."
9. संत परशुराम, राम के साहस, शील और शांत स्वाभाव से प्रभावित हुए और राम, लक्ष्मण, जानकी को आशीर्वाद देकर चले गये.
10. जनक के चारो पुत्रियों की शादी राम और उनके तीनों भाइयों से हो गयी. भगवान राम की सीता के साथ, लक्ष्मण की उर्मिला, भरत की मांडवी के साथ और शत्रुघ्न की श्रुतकीर्ति के साथ.
11. भगवान राम अपनी शिक्षा पूरी करके और देवी सीता से विवाह करने के बाद अवधपुरी वापस आ गये. यह पूरी अयोध्या नगरी के लिए उत्सव का अवसर था. लोगो ने दिल से राम का स्वागत किया.
12. गुरू वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सुझाव दिया की यह समय राजकुमार राम को अयोध्या के उत्तराधिकारी के रूप में घोषणा कर उनका राज्याभिषेक करने के लिए सही समय है. राजकुमार राम के राज्याभिषेक की तैयारी आयोजित कि जाने लगी.
13. दुष्ट मंथरा ने रानी कैकय को गुमराह किया और कहा की वह राजा दशरथ से अपने दो वचनों को पूरा करने के लिये कहे जिसमें की वो राजा राम का बनवास और अपने सगे बेटे भरत को अयोध्या का उत्तराधिकारी बनाये और भरत के राज्याभिषेक के लिए कहे.
14. रानी कैकय राजा के पास गयी और उनके दो वादों को याद दिलाया. रानी कैकय ने कहा, "ओह राजन आज मैं अपने बेटे भरत के लिए सिंहासन और दूसरा राम को 14 साल के लिए बनवास मांगती हूँ”.
15. रानी कैकय के ऐसे वचन सुनकर राजा चौंक गये और बेहोश हो गये. उन्होंने सोचा कैकय जो राम को भरत से भी ज्यादा प्रेम करती है वो राम के लिए ऐसे कैसे कह सकती है.
16. भगवान राम को बुलाया गया. उन्होंने सम्मान से अपने पिता और मां का अभिवादन किया. दशरथ राम से कुछ भी कहने में असमर्थ थे तो रानी कैकय ने उनके पिता के दो वादों के बारे में राम से कहा.
17. रानी कैकय ने कहा, "राम तुम्हारा 14 साल के लिए जंगल में जाने का समय आ गया है और मेरे बेटे भरत को राजगद्दी और अयोध्या का साम्राज्य मिलेगा"
18. उसने कहा, "राम अपने पिता के आज्ञाकारी पुत्र होने के नाते उनके वादे को पूरा करना तुम्हारा कर्तव्य है. अब आपको यह राज्य छोड़ देना चाहिए. रघुकुल की परंपरा का सम्मान रखना तुम्हारा कर्तव्य है.
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Last update
Feb. 23, 2020